झरखी बिशनपुर व सपहा गांव में एक प्राथमिक एवं एक मध्य विद्यालय,
जहां आठवीं तक की होती है पढ़ाई
आठ तक के बाद पढ़ाई का कोई दूसरा विकल्प नहीं : मंगरी देवी
आठवीं कक्षा पास कर हैदराबाद कमाने गए : बजरंगी
आठवीं कक्षा पास कर घर में अपनी मां का हाथ बटा रही हूं : चांदनी कुमारी
बच्चों के पढ़ाई बाधित न हो हर संभव कदम उठाया जायेगा : डीएसई
कोडरमा। प्रखंड अंतर्गत जरगा पंचायत के बिशनपुर, झरखी एवं सपहा गांव में एक प्राथमिक और एक मध्य विद्यालय है। जहां विधालय में कक्षा एक से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। मगर आठवीं पास करने के बाद ज्यादातर बच्चे पढ़ाई से वंचित हो जाते हैं। वहीं गांव से करीब आठ से नौ किलोमीटर की दूरी पर गझंडी गांव में सरकारी हाई स्कूल है, जिसकी दूरी अधिक व घने जंगल व पहाड़ होने के कारण बच्चे वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों को अगर देखे तो वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 12 बच्चे, 2021-2022 में 36 एवं 2022-2023 में 32 बच्चे कुल 80 बच्चे आठवीं क्लास पास हुए हैं और इनमें से मात्र 28 बच्चे ही इन तीन वर्षों में हाई स्कूल या तो कस्तूरबा गांधी विद्यालय तक पहुंच सके हैं।
वहीं गांव के ही मंगरी देवी बताती हैं कि मेरी बच्ची उत्क्रमित मध्य विद्यालय झरखी बिशनपुर से आठवीं कक्षा की परीक्षा पास कर घर में बैठी थी। पढ़ाई का कोई दूसरा साधन नहीं था और ना ही कस्तूरबा में नामांकन हो सका, जिस कारण मैंने अपनी 16 वर्षीय बेटी की शादी कर दी, पढ़ाई का कोई और साधन होता तो मैं अपनी बच्ची को और पढ़ाती, इतनी जल्दी शादी नहीं करती। उन्होंने आगे कहा अगर गांव के ही सरकारी विद्यालय में दसवीं तक की पढ़ाई होगी तो बच्चों का भला हो जाएगा।
वहीं उत्क्रमित मध्य विद्यालय झरखी बिशनपुर से आठवीं कक्षा पास कर हैदराबाद कमाने गए 17 वर्षीय बजरंगी कुमार ने बताया मेरी इच्छा थी कि मैं आगे और पढू, परंतु गांव में आठवीं तक की ही पढ़ाई संभव था और घर का आर्थिक हालात कुछ ठीक नहीं था इसलिए मैं कमाने के लिए हैदराबाद चला गया।
हीं आठवीं कक्षा पास कर घर में अपनी मां का हाथ बटा रही चांदनी कुमारी ने कही कि अब मेरी शादी होने वाली है, आठवीं कक्षा की पढाई के बाद गांव से बाहर जाकर मैं नहीं पढ़ सकी, क्योंकि मेरे पिता की मौत हो गई एवं आर्थिक तंगी होने के कारण घर में ही रहकर कुछ-कुछ काम करती रही, अगर गांव में ही सरकारी विद्यालय में दसवीं तक की पढ़ाई होती तो मैं भी पढ़ाई करती।
वहीं एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) अध्यक्ष रामस्वरूप दास ने कहा कि कई वर्षों से हम ग्रामीण जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से सरकारी विद्यालय को दसवीं तक की पढ़ाई हो इसकी गुहार लगा चुके हैं, परंतु अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जिस कारण बच्चे पलायन कर बड़े शहरों में जाकर बाल मजदूरी कर रहे हैं और बच्चियों का 16-17 वर्ष में ही विवाह हो जा रहा है।
वहीं ग्रामीणों ने उपायुक्त व जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक आवेदन दिया है, दिये गये आवेदन में बताया गया है कि हमारे गांव में प्राथमिक व मध्य विद्यालय है, जहां बहुत ही अच्छी पढ़ाई होती है। मगर आठवीं कक्षा पास करने के बाद हमारे बच्चे बाल मजदूरी करने को विवश हो जाते हैं और उन्हें बाहर काम करने के लिए जाना पड़ता है। वहीं लड़कियों को मजबूरन कम उम्र में ही बाल विवाह कर देते हैं। हमारा सपहा, झरखी एवं विशुनपुर गांव जंगल, पहाड़ व नदी से घिरा है और हमारे गांव से उच्च विद्यालय लगभग आठ से दस किलोमीटर दूर गझण्डी में है। जहां जाने में बच्चों को काफी परेशानी और जंगल का डर बना रहता है। जिसके कारण बच्चे उच्च शिक्षा के लिए वंचित रह जाते हैं।
हमारे गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय झरखी विशुनपुर को उच्च विद्यालय में उत्क्रमण कर दिया जाए, ताकि हमारे बच्चे बच्चियों का भविष्य उज्जवल बन सके। वहीं आवेदन मिलने के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार ने बताया कि आवेदन के जरिये जानकारी मिली है, आगे विभागीय जांच प्रकिया के बाद बच्चों के पढ़ाई बाधित न हो हर संभव कदम उठाया जायेगा।