–सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी शिक्षकों ने कहा, स्कूल जाते रहेंगे
कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले पश्चिम बंगाल के हजारों शिक्षा कर्मियों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नौकरी नहीं खोने का आश्वासन दिया। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में शिक्षा कर्मियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से पहले इस मुद्दे पर स्पष्टता मांगेगी। यदि वहां से भी नकारात्मक निर्णय आता है तो योग्य कर्मियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि यदि सभी शिक्षकों और कर्मियों को हटा दिया गया तो स्कूलों का संचालन कैसे होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कानून का पालन करते हुए योग्य कर्मियों की नौकरी सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। ममता बनर्जी ने कर्मियों से अनुरोध किया कि जब तक उन्हें बर्खास्तगी का आधिकारिक नोटिस नहीं मिलता, वे स्कूलों में जाकर स्वैच्छिक सेवा देते रहें। क्या आप लोगों को बर्खास्तगी का नोटिस मिला है? यदि नहीं, तो पढ़ाना जारी रखिए। स्वेच्छा से शिक्षा सेवा दीजिए।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले योग्य कर्मियों का मामला सुलझाया जाएगा। अयोग्य घोषित हुए लोगों के विषय में जांच के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।जब तक सब कुछ स्पष्ट नहीं होता, तब तक घबराने की जरूरत नहीं है। यदि आवश्यकता पड़ी तो दो महीने के भीतर योग्य कर्मियों के लिए वैकल्पिक योजना तैयार कर दी जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार मानवता के आधार पर योग्य कर्मियों के हित में हर जरूरी कदम उठाएगी। योग्य किसी भी हालत में बेरोजगार नहीं होंगे। किसी को भी शिक्षा व्यवस्था बिगाड़ने का अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य में अवैध नियुक्तियों के चलते 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षा कर्मियों को हटाने का आदेश दिया है। नियम के अनुसार, राज्य सरकार को इस आदेश का तत्काल पालन करना चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद शिक्षकों ने तय किया है कि वे स्कूलों में जाते रहेंगे।हालांकि, मुख्यमंत्री ममता के आश्वासन के बावजूद शिक्षकों के बीच कुछ सवाल अब भी कायम हैं। मुख्य चिंता यह है कि स्कूल जाने पर क्या उन्हें नियमित वेतन मिलेगा या उन्हें बिना वेतन सेवा करनी पड़ेगी। साथ ही यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह अस्थायी व्यवस्था कितने दिन तक चलेगी और स्थायी समाधान कब मिलेगा। कुछ शिक्षक यह भी सोच रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा योग्य और अयोग्य कर्मियों की सूची राज्य सरकार को कैसे और कब सौंपी जाएगी।