कोडरमा। जिला स्थित ऐतिहासिक राजागढ़ चैती दुर्गा मन्दिर में बसंती दुर्गा पूजा अर्चना की जा रही है। आपको बता दें कि तकरीबन 700 सालों से अधिक समय से इस मंदिर में ऐतिहासिक स्थल पर वर्ष 1316 से वासंतिक दुर्गा पूजा और रामनवमी का आयोजन होते चला आ रहा है। चैत माह में आयोजित होने वाले वासंतिक दुर्गा पूजा की शुरुआत उस समय के राजा सागर शाही द्वारा की गयी थी। इसके बाद उनके वंशज प्रत्येक वर्ष निर्बाध रूप से पूजा का आयोजन करते आ रहे हैं। वर्तमान में राजा के वंशज कृष्णा शाही और उनके भाई विजय शाही द्वारा रामनवमी व वासंतिक दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। मां आदि शक्ति दुर्गा की पूजा के अलावे यहां पौराणिक काल के हथियार फरसा और हुंकार (एक प्रकार की बंदूक) की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इन दोनों हथियारों को चांदी से मढ़ कर रखा गया है।
कृष्णा पंडित बनाते थे प्रतिमा
वर्तमान में पूजा का भार संभाले कृष्णा शाही ने बताया कि मंडप में नवरात्र पर नौ दिन तक मां दुर्गा की आराधना के अलावे पौराणिक हथियारों की पूजा प्रतिवर्ष पांच ब्राह्मणों द्वारा की जाती है। वहीं यहां स्थापित होनेवाली मां की प्रतिमाएं पिछले तीस वर्ष से हजारीबाग जिले के कुम्हार टोला निवासी कृष्णा पंडित द्वारा बनायी जा रही है। शुरुआती समय में मजदूरी के रूप में पहले 40 रुपये दिये जाते थे, जो अब बढ़ कर लगभग 30 हजार हो गया है। उन्होंने बताया कि बढ़ती महंगाई और अन्य समस्याओं को देखते हुए वर्ष 2023 से स्थायी रूप से मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है।

दोनों भाइयों की माली हालात कमजोर, पर उत्साह में कमी नहीं
कृष्णा शाही ने बताया कि दोनों भाइयों की माली हालात खराब है, मगर पूर्वजों की परंपरा को निभाने में कोई गुरेज नहीं है। परिवार के सभी सदस्यों और स्थानीय लोगों के सहयोग से पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा का निर्वहन किया जाता है। इससे असीम आनंद की अनुभूति होती है।
इन गांवों के अखाड़ों का होता है मिलान
रामनवमी के दिन राजागढ़ चैती दुर्गा मंडप परिसर में महावीर मुहल्ला, बरसोतियाबर, बदडीहा, लोचनपुर, लख्खीबागी, लोकाई, जलवाबाद, नगरखारा, बलरोटांड़, बेकोबार, रतिथमाई, इंदरवा, पांडेयडीह, बसधरवा समेत दर्जनों गांवों से महावीरी पताकों के साथ विभिन्न अखाड़े यहां पहुंचते हैं। महावीरी पताकों का एक दूसरे के साथ मिलन कराने के उपरांत देर रात तक लाठी, भाला, तलवारबाजी आदि का करतब दिखाते हैं।