रांची। झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू मंगलवार को मुठभेड़ में मारा गया। इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड पुलिस की ओर से एक कुख्यात अपराधी का एनकाउंटर प्रदेश में आपराधिक साम्राज्य चलाने वालों के लिए कड़ा संदेश है।
विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत में मरांडी ने कहा कि जो कानून को चुनौती देगा, उसका यही हश्र होगा। जनता की सुरक्षा और शांति के लिए ऐसे अपराधियों पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है। पुलिस प्रशासन को इसी दृढ़ता से अपनी कार्रवाई जारी रखनी चाहिए।
चंपाई सोरेन ने क्या कहा?
वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने इस मामले में सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि डीजीपी पहले ही स्वीकार कर चुके हैं कि जेल से सबकुछ संचालित हो रहा है तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। आप अमन साव को कस्टडी में ला रहे थे तो फिर एनकाउंटर की बात कहां से आ गई। उन्होंने कहा कि सीबीआई से मामले की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि अमन साहू को सुरक्षा में ला रहे थे। आप उसे पकड़ने नहीं गये थे। जब कोई क्राइम करके दौड़ के जाता है और तब उसको मारा जाता है तो उसे एनकाउंटर कह सकते हैं।

जब सारी सुरक्षा के बीच लाया जा रहा था तब एनकाउंटर हुआ तो यह जांच का विषय है। इसकी जांच होनी चाहिए।
पतरातू में अमन साहू चलाता था मोबाइल की दुकान
झारखंड की राजधानी रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव के रहने वाले अमन साहू के दादा हरिदास साहू मतवे में खेती-बाड़ी करते थे, लेकिन उसके पिता निरंजन साहू यहां से पतरातू चले गये। वहां एक दुकान खोल ली। इंटर की पढ़ाई करने के बाद अमन साहू ने पतरातू में ही वर्ष 2008 में मोबाइल की दुकान खोली। इसी दौरान वह सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय गिरोह के संपर्क में आ गया। पैसे कमाने की लालच में वह आपराधिक गिरोह में सक्रिय हो गया।
बर्नपुर सीमेंट फैक्ट्री में फायरिंग करने के बाद गया जेल
बर्नपुर सीमेंट फैक्ट्री में फायरिंग करने के आरोप में पहली बार अमन साहू को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसे 10 माह तक जेल में रहना पड़ा। जेल से निकलने के बाद अमन साहू को इस बात का अहसास हुआ कि वह सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय से बड़ा गिरोह चला सकता है। इसके बाद उसने इन दोनों का साथ छोड़कर अपना गैंग तैयार कर लिया।
व्यापारियों और ठेकेदारों से करता था वसूली
उसने व्यापारियों और ठेकेदारों से वसूली शुरू कर दी। देखते ही देखते अमन साहू गिरोह का विस्तार होता चला गया। शुरू में उसने हजारीबाग और रामगढ़ जिले में अपराध को अंजाम देना शुरू किया। बाद में उसने रांची, पलामू, लातेहार तक अपने पैर पसार लिये। वह झारखंड तक ही सीमित नहीं रहा। लॉरेंस विश्नोई गैंग के लिए भी काम करने लगा।