नई दिल्ली। भारत में साल 2015-2022 के दौरान मलेरिया के मामलों में 85.1 प्रतिशत की गिरावट और मौतों में 83.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को मलेरिया उन्मूलन पर एशिया पैसिफिक लीडर्स कॉन्क्लेव को आभासी रूप से संबोधित करते हुए यह बात कही।
मलेरिया द्वारा उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौती को संबोधित करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि “पुनर्जीवित राजनीतिक प्रतिबद्धता और मजबूत तकनीकी नेतृत्व दुनिया से मलेरिया के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा”। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी भारत की स्वास्थ्य पहलों का हवाला देते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा “भारत मलेरिया को खत्म करने के प्रयास में अन्य देशों के साथ अपने संसाधनों, ज्ञान और सीख को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
डॉ वी के पॉल ने मलेरिया के मामलों में महत्वपूर्ण गिरावट हासिल करने के लिए दक्षिण एशियाई और प्रशांत क्षेत्र के देशों को बधाई दी। उन्होंने संपूर्ण-सरकार और संपूर्ण-समाज के दृष्टिकोण को अपनाते हुए सीमाओं के पार सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें अनुसंधान और नवाचार को प्राथमिकता देने और व्यवहार परिवर्तन अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मलेरिया के खिलाफ अतिरिक्त हथियार रखने के लिए हमें मलेरिया के खिलाफ टीका विकसित करने में जबरदस्त काम करने की जरूरत है। डॉ. पॉल ने कहा कि हमें उच्च बोझ वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग से इस बीमारी को खत्म करने की आवश्यकता है जो ग्रामीण स्तर पर शुरू होती है।
डॉ. पॉल ने जोर देकर कहा कि घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र, प्रवासी आबादी, आदिवासी आबादी वाले क्षेत्र कुछ प्रमुख चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं जहां हमें ‘वन टीम इंडिया’ के रूप में ध्यान केंद्रित करने और एक साथ काम करने की आवश्यकता है।