चार्म्स संस्था की एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल “कपड़ा प्रोजेक्ट” देशभर में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन रही है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग, विशेषकर महिलाओं को हुनरमंद बनाकर आत्मनिर्भरता की राह दिखाना है.
इस पहल के अंतर्गत महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और बैग निर्माण जैसे कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद महिलाएं सुंदर, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बैग तैयार करती हैं, जिनकी मांग अब सिर्फ स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रही, बल्कि देशभर में लगातार बढ़ रही है.
संस्था की अध्यक्ष डॉ. ख्याति मुंजाल ने इस प्रोजेक्ट के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा,
“जब एक महिला अपने हाथों से कुछ बनाती है, तो उसमें सिर्फ कपड़ा नहीं होता – उसमें उसका आत्मविश्वास, उसका सपना और उसकी पहचान जुड़ी होती है. ‘कपड़ा प्रोजेक्ट’ के माध्यम से हम हर महिला को यह एहसास दिलाना चाहते हैं कि वह किसी से कम नहीं है.”
उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा कि
हम महिलाओं को केवल उत्पादक नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने वाली शक्तियों के रूप में देखते हैं.”
जनसंपर्क समिति की प्रमुख रूपम झा ने इस प्रयास को “उम्मीद और विश्वास गढ़ने वाला आंदोलन” बताया। उनके अनुसार, यह परियोजना महिलाओं को केवल रोजगार नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर भी दे रही है.
इस अवसर पर संस्था की सचिव मौमिता चौधरी, स्किल डेवलपमेंट चेयरपर्सन प्रभा सहित संस्था के कई अन्य सक्रिय सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने एकमत होकर इस प्रोजेक्ट को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने का संकल्प लिया. उनके समर्पण और उत्साह से यह स्पष्ट हो गया कि जब संकल्प और सहयोग साथ चलते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव अवश्य संभव है.
कपड़ा प्रोजेक्ट” आज एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है – एक ऐसी पहल जिसमें महिलाएं अपने भविष्य को अपने हाथों से संवार रही हैं.