KhabarMantraLive: 10 अप्रैल को धनबाद के बरमसिया रेलवे यार्ड में तेज आंधी-बारिश के दौरान सरकारी अनाज की बोरियों के भीगने की घटना के बाद अब एफसीआई और रेलवे अधिकारी डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। एफसीआई की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि अनाज को कोई नुकसान नहीं हुआ है और उसे पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया है।
सोमवार को शहर के एक निजी होटल में प्रेस वार्ता कर एफसीआई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एमके गोगोई ने बताया कि भीगने वाली बोरियों में गरीबों को बांटने वाला चावल नहीं था, बल्कि केंद्र सरकार की एथनॉल ओएमएसएस स्कीम के तहत पंजाब से मंगाया गया चावल था। उन्होंने कहा कि बारिश के दौरान कुछ बोरियां भीग गई थीं क्योंकि तेज हवा के कारण तिरपाल हट गया था, लेकिन क्यूसी अधिकारियों की निगरानी में अनाज को सुखाकर सुरक्षित कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि एफसीआई को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए संवेदक को अतिरिक्त सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही बरमसिया यार्ड में शेड निर्माण को लेकर रेलवे से पत्राचार भी किया गया है।
हालांकि, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। जहां अनाज की ढुलाई होती है, उस स्थान पर अभी तक शेड का निर्माण नहीं हुआ है, जो कि रेलवे की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। वहीं एफसीआई की लापरवाही का आलम यह है कि रेल वैगनों से उतारा गया अनाज कई दिनों तक खुले में पड़ा रहता है, जिससे उसके खराब होने का खतरा बना रहता है। यही कारण है कि जनवितरण प्रणाली की दुकानों में कई बार सड़ा-गला अनाज गरीबों तक पहुंचता है।
सवाल यह भी उठता है कि यदि वास्तव में अनाज को कोई नुकसान नहीं हुआ था, तो फिर बारिश थमने के बाद इतनी जल्दीबाज़ी में अनाज को ट्रकों में लादकर क्यों हटाया गया?
इस पूरे मामले ने एक बार फिर सरकारी व्यवस्थाओं की तैयारियों और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि इस बार एफसीआई और रेलवे केवल “डैमेज कंट्रोल” तक सीमित रहते हैं या भविष्य के लिए कोई ठोस कदम भी उठाए जाते हैं।