–आंगनबाड़ी केंद्र पर लटका रहता है ताला, जिम्मेदार कौन
मरकच्चो (कोडरमा)। प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति इन दिनों बद से बदतर दिख रही है। मनमर्जी से इसका खोलना और बंद होना आम बात हो गई है। वैसे तो सरकारी नियमों के तहत आंगनबाड़ी केंद्र को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक संचालित होना है, किंतु प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र राम भरोसे चल रहा है एवं बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्र की दयनीय स्थिति है। जो अपने उद्देश्य से भटका हुआ नजर आ रहा है। यह कहना गलत नहीं कि केंद्रों का संचालन कागजों पर ही किया जा रहा है। मंगलवार को खबर मन्त्र टीम ने आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 12 पूर्णानगर खेशमी एक की पड़ताल की, जिसमें कई खामियां देखने को मिला।
टीम मंगलवार को 10ः12 बजे केंद्र पर पहुंची, जहां ताला लटका पाया गया न तो केंद्र पर बच्चे थे और न ही सेविका व सहायिका उपस्थित थी। यहां परिसर में कुछ किशोर खेलकूद कर रहे थे। पोषक क्षेत्र के ग्रामीणों के मुताबिक केंद्र का संचालन भगवान भरोसे किया जा रहा है। सबसे अहम बात है कि ग्रामीणों की शिकायत के बाद संबंधित अधिकारी जांच करने पहुंचते तो जरूर है, मगर जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। यही कारण है कि क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन मनमानी तरीके से हो रहा है। विभाग का उद्देश्य बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य देते हुए गांव को कुपोषण मुक्त बनाना है। मगर इस मुहिम पर लापरवाही का ग्रहण लगा हुआ है। केंद्र निर्धारित समय पर न खुलते हैं और न ही बंद होते हैं। ऐसे में केंद्र पर पंजीकरण बच्चों को न तो प्री-प्राइमरी की शिक्षा मिल पा रही है और न ही योजनाओं का लाभ। यह स्थिति तब है जब निगरानी के लिए सुपरवाइजर व सीडीपीओ भी तैनात हैं। इससे महिला पर्यवेक्षकों के जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं। सरकार के निर्देशानुसार आंगनबाड़ी केंद्र में 3 से 6 साल के बच्चों को शिक्षा दी जाती है, स्वस्थ्य वातावरण दिया जाता है। बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है।

कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधा प्रदान की जाती है, मगर आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाला लाभ लोगों को नहीं मिलता दिखाई दे रहा है। जहां आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का समय का दुरुपयोग कर संचालन किया जा रहा है। वहीं प्रखंड पर्यवेक्षिका द्वारा नियमित रूप से आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में कई आंगनबाड़ी केन्द्र बंद रहने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे तो नामांकित हैं, मगर उनकी उपस्थिति न के बराबर है। शहर और गांव के आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात एक जैसे हैं, ना कोई हकीकत देखने वाला है और ना ही इन पर कोई कार्रवाई करने वाला।