कोडरमा। जिला मुख्यालय के विभिन्न मस्जिदों में रमजान माह के आखिरी शुक्रवार को अलविदा जुमे की नमाज अकीदत के साथ पढ़ी गई और मुल्क की तरक्की अमन शांति की दुआ मांगी गई। जलवाबाद मदीना मस्जिद, जामा मस्जिद, बेलाल मस्जिद, मस्जिद ए हेरा में आदि जगहों पर बड़े उत्साह के साथ अलविदा जुमा की नमाज में छोटे बड़े, बुजुर्ग समेत सभी लोग शामिल हुए। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अलविदा नमाज के बाद अमन चैन और आपसी भाईचारे की दुआ मांगी और सलातो सलाम पढ़े।
नमाज के दौरान मदीना मस्जिद के इमाम मौलाना शहादत ने रमजान के महत्व को बताते हुए कहा रोजा अल्लाह पाक ने मुसलमानों पर फर्ज किया है और यह परशिक्षण का महीना कहलाता है, ताकि लोग नेक और परहेजगार बन जाए और जिस तरह इस महीने में गुनाह से बचते हैं, हर महीने बचे। उन्होंने कहा कि रोजा हमें भूख का महत्व बताता है, अपने आस पड़ोस रिश्तेदारो की मदद की शिक्षा देता है। हर तरह की बुराई से बचाता है। नमाजों की पाबंदी जिस तरह जरूरी है। यही वजह है की इस माह के इबादत का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है।
वहीं मौलाना शहादत हुसैन ने कहा कि इस्लाम में छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखा गया है। जकात हर उस मुसलमान पर फर्ज है जो ‘‘साहिबे निसाब‘‘ हो, यानी जिसके पास इस्लाम के अनुसार निर्धारित संपत्ति की सीमा (साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या इतनी ही कीमत की संपत्ति) हो। जबकि फितरा का पैसा सभी मुस्लिमों को निकालना होता है। रमजान के महीने में मुसलमानों पर प्रति व्यक्ति फितरा वाजिब होता है, जो गरीबों में बांटा जाता है।
वक्फ बोर्ड बिल के खिलाफ लोगों ने बांधी काली पट्टी
अलविदा जुम्मे की नमाज के बाद, जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों ने नमाज के दौरान अपने बाजू पर काली पट्टी बांधकर वक्फ बोर्ड बिल के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध दर्ज किया। यह सिर्फ एक एहतेजाज नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 19 में मिले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक का हकीकी इस्तेमाल भी कहा जा सकता है। इस शांतिपूर्ण विरोध के जरिए एक स्पष्ट संदेश दिया गया, हम सच के साथ खड़े हैं और रहेंगे।