कोडरमा। रमजान के पाक महीने में चंदवारा प्रखंड अंतर्गत जोलहकरमा की मस्जिद-ए-अक्सा में तरावीह की नमाज के दौरान कुरआन-ए-करीम मुकम्मल किया गया। 23वीं रमजान की रात बड़ी संख्या में लोग मस्जिद में जमा हुए और पूरे अदब व श्रद्धा के साथ कुरआन सुनने की पाक परंपरा पूरी हुई। इस मौके पर इबादत का नूरानी माहौल देखने को मिला। 23वें रमजान से सुराह तरावीह पढ़ी जाएगी, जो चांद रात तक जारी रहेगी।
रमजान और तरावीह की अहमियत
इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें मुसलमान रोजा रखते हैं और रात में ईशा की नमाज के बाद विशेष नमाज तरावीह अदा करते हैं। इस दौरान कुरआन-ए-पाक को मुकम्मल करने की परंपरा निभाई जाती है, जो इबादत का एक अहम हिस्सा है। रविवार की रात जब तरावीह के जरिए कुरआन मुकम्मल हुआ, तो पूरी मस्जिद में इख्लास और सुकून का माहौल बन गया।
इमाम हाफिज जमाल साहब ने बताई तरावीह की अहमियत
वहीं मस्जिद के इमाम हाफिज जमाल साहब ने तरावीह की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह न केवल अल्लाह की इबादत करने का जरिया है, बल्कि कुरआन सुनने और समझने का भी एक सुनहरा अवसर होता है। उन्होंने कहा कि रमजान आत्मशुद्धि, संयम और नेक अमल का महीना है, जिसमें हर मुसलमान को अपने गुनाहों से तौबा कर अल्लाह की राह पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। इसके अलावा, इमाम साहब ने एक से बढ़कर एक नात पेश की, जिससे माहौल और भी रूहानी हो गया। वहीं हाफिज शमीम साहब ने भी तरावीह की फजीलत और इसकी अहमियत को बयान किया एवं बताया कि तरावीह सिर्फ एक इबादत नहीं, बल्कि अल्लाह की रहमतों और बरकतों को हासिल करने का जरिया है।
अमन-चैन और भाईचारे की मांगी गई दुआ
कुरआन मुकम्मल होने के बाद देश-दुनिया में अमन, भाईचारे और खुशहाली के लिए खास दुआ मांगी गई। इमाम साहब ने देश में शांति, आपसी सौहार्द और इंसानियत के मूल्यों को बढ़ावा देने की अपील की। वहीं बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की और इबादत में हिस्सा लिया। मौके पर मो. हनीफ, मो. गुलजार, मो. अजीम, मो. मुमताज, मो. इस्लाम, मो. सद्दाम, मो. इलयास, मो. शहजाद, जमतली मियां, मो. रफीक, मो. इसराइल, मो. समसुद्दीन, रहमत मियां, इब्राहिम मियां, मो. मुस्लिम सहित कई लोग मौजूद थे।