खबर मन्त्र संवाददाता
हज़ारीबाग़: झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव में स्थित पूर्व विधायक अंबा प्रसाद का आवास ‘समाधान’ इन दिनों चर्चा में है। विवाद इस बात को लेकर खड़ा हुआ है कि यह आवास उस जमीन पर बना है जिसे एनटीपीसी ने पहले ही अधिग्रहित कर लिया था। यह भूमि, जो अंबा प्रसाद की मां और पूर्व विधायक निर्मला देवी के नाम पर थी, 2007 में कोल बियरिंग एक्ट के तहत अधिग्रहित कर ली गई थी।
क्या है पूरा मामला?
इस अधिग्रहण के बावजूद, जब मुआवजे की रकम नहीं ली गई, तो 2017 में ट्रिब्यूनल में जमा करा दी गई थी। अब यह सवाल उठ रहा है कि जिस जमीन पर एनटीपीसी का स्वामित्व है, वहां निजी आवास कैसे बन गया? इस मुद्दे पर हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और आगे निर्देश के अनुसार कार्रवाई होगी। पूर्व मंत्री योगेंद्र साहू ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि यह जमीन निर्मला देवी के नाम पर रजिस्टर्ड थी और एनटीपीसी ने इसके लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी किया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस जानकारी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी दिया जा चुका है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आवास निर्माण में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी।
योगेंद्र साहू ने एनटीपीसी पर भी गंभीर आरोप लगाए, यह कहते हुए कि कंपनी ग्रामीणों से जबरन जमीन अधिग्रहण कर रही है और विस्थापित लोगों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में एनटीपीसी के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा किया जा सकता है।
जमीन की खरीद और अधिग्रहण की जटिलता
निर्मला देवी ने यह जमीन 1.08 एकड़ में, खाता नंबर 220, प्लॉट नंबर 349 और 358 के तहत, वर्ष 2007 में रतन लाल खंडेलवाल और शकुंतला देवी से खरीदी थी। सरकारी मूल्यांकन के अनुसार, इस जमीन की कीमत 23 लाख रुपये थी, लेकिन इसे 14.67 लाख रुपये में खरीदा गया था। हालांकि, यह सौदा उस समय किया गया जब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही थी।अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है और यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।